आप सभी को पता होगा की 2021 में यानि की पिछले साल अक्टूबर से एफपीआई [FPI] की निकासी का सिलसिला शुरू हुआ था। अक्टूबर, 2021 से जून, 2022 तक उन्होंने शुद्ध रूप से 2.46 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे , आज हम आपको यह सेर मार्किट हो रहे कुस गिरावट के रीजन सेर करने वाला हु !
सेर मार्किट में हो रहे गिरावट को देखने जाये तो इस महीने, भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की आमद धीमी हो गई है। एफपीआई ने सितंबर में अब तक भारतीय इक्विटीमार्किट में केवल 8,600 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एफपीआई ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजारों में 51,000 करोड़ रुपये डाले।

किस वजह से धीमे पड़े विदेशी निवेशक आई ऐ यहाँ देखते हे
किस वजह से धीमे पड़े विदेशी निवेशक क्योकि एफपीआई प्रवाह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में और वृद्धि की संभावना,और मंदी की चिंता, उसके बाद कमजोर रुपये और रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से प्रभावित होगा। वेल्थ एडवाइजर्स एलएलपी के सह-संस्थापक बसंत माहेश्वरी के अनुसार,डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इससे पहले अगस्त में शेयरों में कुल 51,200 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जुलाई में उनका कुल इक्विटी मार्किट का निवेश करीब 5,000 करोड़ रुपये था।
जुलाई में एफपीआई शुद्ध खरीदार बन गए।
आपको पता होगा की लगातार नौ महीनों तक निकासी करने के बाद जुलाई में एफपीआई शुद्ध खरीदार बन गए। पिछले साल अक्टूबर में एफपीआई निकासी प्रक्रिया शुरू की गई थी। उन्होंने कुल रुपये की शुद्ध राशि के शेयर बेचे थे। अक्टूबर 2021 और जून 2022 के बीच 2.46 लाख करोड़। डेटा से पता चलता है कि 1 सितंबर से 23 सितंबर के बीच, FPI ने कुल 8,638 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।